जीएसटी लागू होने से पहले भारत में तमाम तरह के टैक्स हुआ करते थे, कारोबारियों को अलग – अलग तरह 17 टैक्स जमा करना होता था। ऐसे में कारोबारियों का समय में धन दोनों जाया होता था। केन्द्र सरकार ने इस समस्या का समाधान करते हुए ‘एक देश एक कर’ यानी जीएसटी की व्यवथा लागू कर दिया।
जीएसटी लागू होने के बाद कई फायदा हुआ है। पहले टैक्स जमा करने के लिए विभिन्न कार्यालयों का चक्कर लगाना होता था। जबकि अब जीएसटी पोर्टल पर टैक्स जमा करने का ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है। इसी के साथ अब बैंक और एनबीएफसी बिजनेस लोन प्रदान करने के लिए भी जीएसटी सर्टिफिकेट की मांग करते हैं। कुछ बिजनेस के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है और कुछ बिजनेस के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नही है। अब सवाल यह उठता है कि किन बिजनेस के लिए जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य है और किन बिजनेस के लिए जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य नही है। आइये इसके बारे में समझते हैं। केन्द्र सरकार के निर्देशन में काम करने वाली जीएसटी काउंसिल के गाइड लाइन के अनुसार 40 लाख सालाना तक के सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस के लिए जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य है। 40 लाख से तक सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस के लिए जीएसटी नंबर लेना वैकल्पिक है। यानी वह चाहें तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं नही चाहे तो नही जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों और पहाड़ी इलाकों के लिए सालाना टर्नओवर में और अधिक छूट दी गई है। जो घटती –बढती रहती है। आपको बता दें कि पहले 20 लाख तक का सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस को जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट प्रदान की गई थी। अब इसे 40 लाख कर दिया गया है। टैक्स दर प्रोडक्ट 0.25% कटे और पॉलिश हुए पत्थर 5% घरेलू सामान जैसे- खाद्य तेल, चीनी, मिर्च, चाय, कॉफी, मसाला, मिठाई, सब्जियां, जीवन बचाने वाली दवाईयां इत्यादि जीएसटी के 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में शामिल है। 12% जीएसटी के इस स्लैब में कम्पूटर और प्रोसेस्ड फूड से जुड़ी चीजें शामिल हैं। 18% जीएसटी के 18 प्रतिशत स्लैब में हेयर ऑयल, दंतमंजन, साबून, घरेलू सामान, औद्योगिक सामान इत्यादि आता है। 28% जीएसटी का यह सबसे महंगा स्लैब है। इस स्लैब में सभी लग्जरी आइटम आता है जैसे- एसी, फ्रिज, प्रिमियम कार और मोटरसाईकिल जैसे आईटम शामिल हैं।
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