किसी भी कारोबार के विस्तार में पैसों का एक महत्वपूर्ण रोल होता है। पैसों की मदद से कारोबार को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। पैसों को जरूरतों को पूरा करने के लिए कारोबारी बिजनेस लोन लेते हैं। लोन लेते वक्त कारोबारी के मन में यह सवाल आता है कि बिजनेस लोन इंटरेस्ट रेट कितना होगा। यह सवाल जरूरी भी है, क्योंकि बिजनेस लोन के बाद उसे चुकाने में बड़ी समस्याएं होती हैं।
कितने तरह का बिजनेस लोन होता है? लोन मुख्य रुप से दो तरह का होता है: लोन का प्रकार
टर्म लोन क्या होता है? जब कोई व्यक्ति एक साल से अधिक समय के लिए लोन लेता है तो उसे हम टर्म लोन के रुप में जानते हैं। बैंकिंग की परिभाषा में एक साल से अधिक समय के लिए लिया जाने वाला लोन टर्म लोन होता है। टर्म लोन में होम लोन, कार लोन, बिजनेस लोन पर्सनल लोन आते हैं। ‘ डिमांड लोन क्या होता है? यह टर्म लोन के ठीक उलट होता है। जब कोई व्यक्ति एक साल के लिए लोन लेता है, तो उसे हम डिमांड लोन के रुप में जानते हैं। बैंकिंग की परिभाषा में भी इसकी व्यख्या एक साल के भीतर चुकाये जाने वाले लोन के रुप में हुई है। इस तरह के लोन को क्रेडिट लाइन भी कहा जाता है। लोन मिलने का बेस प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन (सेक्योर लोन): जब लोन लेने के लिए व्यक्ति अपनी कोई प्रॉपर्टी बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) कंपनी में गिरवी रखता है, तो उस लोन को सेक्योर लोन यानी प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन लेना कहते हैं। इस तरह के लोन में होम लोन, कार लोन जैसे लोन आते हैं। इस तरह के लोन का अमाउंट बड़ा होता है, इसलिए बैंक या एनबीएफसी कंपनी सेक्योरिटी के तौर पर प्रॉपर्टी गिरवी रखवाने का काम करते हैं। इस तरह का लोन ग्राहक अगर नहीं चुका पाता है, तो उसके द्वारा गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी को नीलाम करके लोन की रकम की भरपाई की जाती है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि सेक्योर्ड लोन की ब्याज दर अपेक्षाकृत कम होती है। बिना कुछ गिरवी रखे लोन (अनसेक्योर्ड लोन) जब लोन लेने के लिए कोई प्रॉपर्टी गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती है, तो उसे अनसेक्योर्ड लोन कहा जाता है। इस तरह का लोन प्राप्त करने के लिए बैंक या एनबीएफसी कंपनी के यहां कुछ भी गिरवी नहीं रखना होता है। इस तरह का के लोन में पर्सनल लोन, बिजनेस लोन आते हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि अनसेक्योर्ड लोन को चुकाने के लिए कम समय मिलता है और ब्याज दर भी सेक्योर्ड लोन की अपेक्षाकृत अधिक होता है। क्या होता है बिजनेस लोन पर ब्याज दर बिजनेस लोन पर ब्याज दर वह अमाउंट होता है, जो आपको बिजनेस लोन की रकम पर ब्याज के रूप में देना पड़ता है। बिजनेस लोन लेते वक्त यह जानना बेहद जरूरी होता है कि आप किस ब्यज दर पर बिजनेस लोन ले रहे हैं। लोन देते वक्त बहुत से बैंक एवं NBFC बिजनेस लोन इंटरेस्ट रेट खुल कर बात नहीं करती हैं। जिसके बिजनेस लोन लेने वाले कारोबारी को लोन चुकाते वक्त परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोन लेते वक्त ही पूछें इंटरेस्ट रेट कारोबारियों को बिजनेस लोन लेते वक्त ही बिजनेस लोन पर ब्याज दर क्या है, ये बात जरूर पूछ लेनी चाहिए। जिसके कारण उन्हें पहले से ही पता होगा कि कितने बिजनेस लोन इंटरेस्ट रेट पर उनसे ब्याज वसूला जाएगा। नहीं लोन लेने के बाद अधिक ब्याज दरों की वजह से कारोबारियों परेशान होना पड़ता है। कैसे तय होती हैं बिजनेस लोन पर ब्याज दरें- बिजनेस लोन पर ब्याज दरें तय होने का सबसे बड़ा पैमाना क्रेडिट स्कोर होता है। कारोबारी के क्रेडिट स्कोर के अनुसार ही उसे दिए जाने वाले बिजनेस लोन की ब्याज दरें तय होती हैं। इसके साथ ही अलग-अलग बैंक एवं NBFC की ब्यज दरें भी अलग-अलग होती हैं। यह दिए जाने वाले बिजनेस लोन की कुल राशि पर भी निर्भर करती है। कहां से बिजनेस लोन- कारोबारी पारंपरिक तौर पर बैंकों से लोन लेते आ रहे हैं। यह लोन लेने का पुराना तरीका है। आज भी ज्यादातर व्यवसायी बिजनेस लोन के लिए बैंकों पर निर्भर रहते हैं। मगर बैंकों से बिजनेस लोन लेने में जो सबसे बड़ी समस्या आती है, वो होती है बैंकों की लंबी-चौड़ी कागजी कार्यवाई और उनकी योग्यता मानदंड। ज्यादातर छोटे व्यवसायी बैंको की इस प्रक्रिया में फंस कर रह जाते हैं और अंत में उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। इसके साथ ही कई बैंकों की बिजनेस लोन पर ब्याज दरें भी काफी अधिक होती हैं। यहां से लें कम ब्याज दरों पर बिजनेस लोन- बिजनेस लोन लेने के लिए मार्केट में एक और बेहतर विकल्प मौजूद है, और विकल्प NBFC है। NBFC का फुल फॉर्म होता है नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी (Non Banking Financial Company) इसे हिन्दी में हम गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था के नाम से जानते हैं। एनबीएफसी वे Finance कंपनियां जो कि बैंक नहीं है, लेकिन लोन प्रदान करती हैं। NBFC से लोन लेना बेहद आसान होता है। ज्यादातर NBFC ऑनलाइन बिजनेस लोन प्रदान करती हैं। जिसकी वजह से आपकी भाग-दौड़ बच जाती है। इसके साथ ही इनकी कागजी कार्यवाई ज्यादा लंबी-चौड़ी नहीं होती है। कुछ NBFC ऐसी भी हैं, जो कि सिबिल स्कोर के मापदंडों को फॉलो नहीं करती हैं। इसके साथ ही इनका बिजनेस लोन इंटरेस्ट रेट क्रेडिट स्कोर पर निर्भर नहीं होता है। जिसके कारण बिजनेस लोन पर ब्याज दरें बेहद कम होती हैं। तो कम ब्याज दरों के लिए आप NBFC से बिजनेस लोन ले सकते हैं।
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EMI शब्द अब घर – घर में पहचाने जाने वाला शब्द बन गया है। इसे हम इस तरह भी कह सकते हैं कि EMI अब घरेलू शब्द बन गया है। इसका कारण या है कि समय के साथ लोगों की जरूरतें बढ़ गई हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है की लोग जरूरत की चीज खरीदते समय वस्तु का भुगतान क्रेडिट कार्ड से कर देते हैं और क्रेडिट कार्ड की बिल को वह कई किश्तों में चुकाते हैं। किश्तों में चुकाया जाने वाला मूल्य को ही EMI कहा जाता है।
EMI का मतलब क्या होता है? जब कोई व्यक्ति बिजनेस लोन या किसी अन्य तरह का लोन के रुप में बड़ी रकम उधार लेता है और लोन को छोटी – छोटी रकम में लंबे समय तक चुकाता है। या क्रेडिट कार्ड से जब कोई व्यक्ति खरीददारी करता है और क्रेडिट कार्ड की बिल का भुगतान किश्तों में करता है तो उसे हम EMI के रुप में जानते हैं। EMI निर्धारित होती है? EMI कैलकुलेट कैसे होती है? यह एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर सभी लो जानना चाहते हैं। इसका उत्तर है – EMI ग्राहक और फाइनेंसियल कंपनी के आपसी सामंजस्य से तय की जाती है। ईएमआई तय करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि ग्राहक को ईएमआई भरने में अधिक कठिनाई का सामना न करना पड़े। व्यक्ति खुद से EMI कैलकुलेट कर सकता है कोई भी व्यक्ति चाहें तो अपने – आप ऑनलाइन तरीके से अपनी ईएमआई कैलकुलेट कर सकते हैं। इसके लिए EMI कैलकुलेटर का उपयोग कर सकता है। खुद से EMI कैलकुलेट करने से यह फायदा यह होता है कि इंसान खुद के हिसाब से अपने महीने की ईएमआई सेट सकता है। यह ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए तैयार किया जाता है। EMI कैसे तय होती है? लोन की या क्रेडिट कार्ड की EMI एक फ़ॉर्मूला से तय होती है। कैलकुलेटर से EMI तय करने का सूत्र निम्न है: EMI = [P x R x (1+R) ^ N] / [(1+R) ^ (N-1)] सूत्र के संकेतों को समझिए
EMI का फुल फॉर्म Equated monthly instalments है यानी हर महीने अपने – आप संबंधित व्यक्ति के बैंक खाता से कटने वाली रकम को ईएमआई कहा जाता है। इस तरह हम देखते हैं की EMI बहुत ही कारगर व्यवस्था है, उन सभी लोगों के लिए जिनकी इनकम इतनी अधिक नहीं होती है कि जो लोग बड़ी रकम की खरीददारी एक बार में नहीं कर सकते सकते हैं। EMI की सुविधा के कारण लोग अपनी पसंदीदा चीजों की खरीददारी बहुत आसानी से कर सकने में सक्षम बन पाते हैं। |